कोलकाता: विश्व भारती के कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती ने कहा है कि विश्वविद्यालय अपने शांतिनिकेतन परिसर में नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के अवैध कब्जे वाली जमीन वापस हासिल करने में हस्तक्षेप किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि वे जमीन वापस हासिल करने के लिए कानून सम्मत कदम उठाने से खुद को नहीं रोकेंगे।
चक्रवर्ती ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा सेन को जारी किया गया निष्कासन नोटिस सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। अर्थशास्त्री को इसे जारी किये जाने को लेकर विश्व भारती का विरोध कर रहे लोगों से अनुरोध है कि वे कोई टिप्पणी करने से पहले इसे पढ़ें।
कुलपति ने विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर डाले गये पत्र में कहा है, जमीन के अतिक्रमण का समर्थन नहीं किया जा सकता है। हर किसी के प्रति कानून एकसमान रहना चाहिए लेकिन दुर्भाग्य से बंगाल में बंगालियाना के स्वयंभू नैतिक संरक्षक विश्व भारती जैसे बड़े संस्थान की कीमत पर एक व्यक्ति को विशेषाधिकार दे रहे हैं।
कुलपति ने बताया कि यह कहा गया था कि विश्वविद्यालय का आरोप अमान्य है क्योंकि जमीन पर प्रोफेसर सेन का कानूनन अधिकार का दावा करने वाला दस्तावेज सीएम ममता बनर्जी द्वारा दिया गया था। उन्होंने कहा, लेकिन इस तर्क पर मुझे आपत्ति है।
प्रोफेसर सेन ने मई महीने की शुरूआत में कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख कर मामले में राहत देने का अनुरोध किया था क्योंकि विश्वविद्यालय ने एक आदेश जारी कर उन्हें शांतिनिकेतन में उनके पैतृक आवास स्थित 0.13 एकड़ (5,500 वर्ग फुट) जमीन खाली करने का निर्देश दिया था। सेन की याचिका पर उच्च न्यायालय ने पिछले महीने संभावित निष्कासन पर स्थगन आदेश जारी किया था।
अमर्त्य सेन ने अपनी याचिका में दलील दी है कि अक्टूबर 1943 में विश्व भारती के तत्कालीन महासचिव रवींद्रनाथ टैगोर ने 99 साल के पट्टे पर 1.38 एकड़ जमीन उनके पिता आशुतोष सेन को दी थी।