झारखंड के दो डीएसपी पर चलेगा मुकदमा

राज्य सरकार ने मुकदमा चलाने की स्वीकृति दे दी है

182

रांचीः झारखंड के जामताड़ा और बोकारो में तैनात पुलिस अधिकारी पर मुकदमा चलेगा। बोकारो डीआईजी कार्यालय में तैनात डीएसपी पवन कुमार और आईआरबी-5 जामताड़ा में तैनात डीएसपी मजरुल होदा के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दी गयी है।

राजधानी रांची के बुंडू आदर्श नगर निवासी रुपेश स्वांसी की आठ जुलाई 2016 को हिरासत में मौत हो गयी थी, जिसमें डीएसपी पवन कुमार समेत अन्य पुलिस अधिकारी आरोपी है।

धनबाद जिले के हरिहरपुर थाना क्षेत्र में वर्ष 2016 में तोपचांची-राजगंज जीटी रोड पुलिस द्वारा ट्रक चालक से वसूली, उसे गोली मारने और फर्जी तरीके से हथियार प्लांट करने के मामले में सीआइडी ने डीएसपी

मजरुल होदा को दोषी माना था। डीएसपी की मौजूदगी में हुई थी घटना।
बुंडू के आदर्श नगर निवासी 17 वर्षीय रूपेश स्वांसी की आठ जुलाई 2016 को पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी।

वह बुंडू में एक कपड़े की दुकान में काम करता था। रूपेश के पिता भूषण स्वांसी ने अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

आरोप लगाया था कि 7 जुलाई 2016 को पांच बजे सिविल ड्रेस में दो पुलिसकर्मी उसकी दुकान पर आए और पूछताछ करने के नाम पर रूपेश को ले गए। रूपेश के पिता जब सुबह थाने गए तो पुलिसकर्मी उन्हें टहलाने लगे।

तरह-तरह की बातें कहने लगे। फिर कहा कि रूपेश को रिम्स में भर्ती किया गया है। पिता रिम्स पहुंचे तो रूपेश मृत अवस्था में मिला। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी रूपेश के शरीर पर 16 जगहों पर जख्म की बात सामने आई थी।

घटना के बाद एसएसपी कुलदीप द्विवेदी ने राहे ओपी के तत्कालीन प्रभारी अशोक प्रसाद और दशम फॉल के तत्कालीन थाना प्रभारी पंकज तिवारी को निलंबित भी कर दिया था।

रूपेश स्वांसी की हिरासत में हुई मौत के मामले में डीजीपी के आदेश पर सीआइडी की जांच कराई गई थी। सीआइडी जांच में बुंडू के तत्कालीन डीएसपी पवन कुमार अन्य पुलिस पदाधिकारी जांच में भी दोषी पाए गए थे।

इसके बाद सीआइडी के एडीजी ने जांच रिपोर्ट की कॉपी डीजीपी को सौंपी थी, जिसके बाद चारों पर कार्रवाई की गई थी।

धनबाद के तोपचांची थाना क्षेत्र में 13 जून 2016 को बाघमारा के तत्कालीन डीएसपी मजरूल होदा, तत्कालीन थाना थानेदार द्वारा चेकिंग लगायी गयी थी।

इस बीच वहां चमड़ा लदा ट्रक लेकर चालक मो नाजिम वहां पहुंचा। ट्रक रोकने के प्रयास के दौरान चालक तेज रफ्तार में ट्रक लेकर भागने लगा। उसके बाद पुलिस ने उसे गोली मार दी थी।

लेकिन, पुलिस ने पूरे मामले में अलग कहानी बनायी थी। पुलिस ने तब तर्क दिया था कि ट्रक चालक व अन्य लोगों ने मिलकर पुलिस पर फायरिंग की थी।

घटनास्थल से एक पिस्टल और गोली का खोखा भी बरामद होना दिखाया गया था। सीआइडी जांच के बाद खुलासा हुआ था कि घटना के दौरान डीएसपी मजरूल होदा खुद मौजूद थे।

पूरी घटना उनकी जानकारी में हुई थी। इसलिए पूरे षड्यंत्र में डीएसपी की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है।

पूर्व की जांच में भी सीआइडी ने उन्हें दोषी पाया है। मामले में घटना के बाद पुलिस ने जो हथियार और गोली बरामद होना दिखाया था, वह गोली भी बरामद पिस्टल की नहीं थी। हथियार भी फर्जी तरीके से प्लांट किया गया था।