जस्टिस सिन्हा के पति को क्यों बुलाया जा रहा बार-बारः जस्टिस गंगोपाध्याय

उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल को भी एक पत्र भेजा है

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कोलकाता, सूत्रकार : जस्टिस सिन्हा के पति को सीआईडी ​​द्वारा समन किये जाने का मामला हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की अदालत में उठा। हाल ही में एक अन्य मामले में जस्टिस सिन्हा के पति वकील प्रताप चंद्र दे को सीआईडी ​​ने तलब किया था। वहां वकील ने सीआईडी ​​के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत की थी। उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल को भी एक पत्र भेजा है। जस्टिस गंगोपाध्याय ने राज्य के एजी से पूछा कि सीआईडी ​​जस्टिस सिन्हा के पति को बार-बार क्यों बुला रही है? क्या यह इतना महत्वपूर्ण मामला है?

गौरतलब है कि शुक्रवार को न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की पीठ अलीपुरद्वार महिला क्रेडिट सहकारी समिति में भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी। जस्टिस गंगोपाध्याय ने यह टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान की। इससे पहले जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने भी याद दिलाया था कि कोर्ट के आदेशों की अवहेलना के कारण राज्य या सीआईडी ​​को फटकार लगानी पड़ी थी। उनका सवाल था कि सुप्रीम कोर्ट ने सीआईडी ​​या राज्य को कई निर्देश दिए। क्या राज्य या सीआईडी ​​द्वारा सभी निर्देशों का पालन किया जाता है? इस दिन अलीपुरद्वार सहकारी मामले की सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्त को तलब किया था।

उन्होंने महाधिवक्ता से कहा कि आप राज्य को विभिन्न शर्मिंदगी से बचा सकते हैं, इसे सुलझाएं। हाईकोर्ट ने अलीपुरद्वार में सहकारी समिति में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को दी है। उस दिन जज ने कहा कि सीआईडी ​​इस मामले में कुछ नहीं कर सकी, इसलिए इसे सीबीआई को दे दिया गया। वहीं, अलीपुरद्वार मामले में जज ने कहा कि राज्य एक सप्ताह के भीतर सीबीआई को वाहन और आठ पुलिस अधिकारी उपलब्ध कराएगा लेकिन राज्य उत्तर बंगाल में कार्यालय उपलब्ध कराने के लिए 2 महीने का समय चाहता है और अदालत ने राज्य को वह समय दिया है।