आख़िर क्यों सर्दियों में बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा !

ठंड के मौसम में शरीर को गर्म रखने के लिए दिल को काफी मशक्कत करनी पड़ती है

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कोलकाता डेस्क (हेल्थ):  गर्मी के दिनों के मुकाबले सर्दी के मौसम में दिल के दौरे का ख़तरा बढ़ जाता है। इसका एक कारण है सर्दी के मौसम में तापमान का कम हो जाना जिसकी वजह से दिल की सेहत पर काफी असर देखने का मिलता  है। ठंड के मौसम में शरीर को गर्म रखने के लिए दिल को काफी मशक्कत करनी पड़ती है।

लगातार खून को पम्प करने की वजह से रक्तवाहिकाएं यानी  Blood Vessels सिकुड़ जाती हैं जिससे दिल को अधिक काम करना पड़ता है। अगर आप ये सोच रहे हैं कि आपका HDL ज्यादा है तो आपको हार्ट अटैक या स्ट्रोक नहीं हो सकता तो आपका ऐसा सोचना एक दम गलत है।

आइए जानते हैं आखिर क्यों पड़ता है दिल का दौरा….

दरअसल दिल का दौरा तब पड़ता है, जब हृदय को रक्त की आपूर्ति नहीं मिलती या आपूर्ति अचानक बाधित हो जाती है। मुख्य रूप से हृदय की धमनियों में से एक में रुकावट के कारण या धमनियों में फैट्स या ब्लाक होने के कारण रक्त वाहिकाएं ठिक से काम नहीं कर पाती हैं। जब यह प्लाक फटता है  तो ब्लड क्लॉट बनता है, जो धमनियों के ब्लॉकेज का कारण बनता है, जिससे दिल का दौरा पड़ता है।

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ठंड में जोखिम बढ़ जाता है

ऐसा माना जाता है कि सर्दी के मौसम में हार्ट अटैक या स्ट्रोक के मामले अधिक देखने को मिलते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ठंड की वजह से इस मौसम में लोग कम शारीरिक काम करते हैं। इस दौरान स्ट्रोक, हार्ट फेलियर, कार्डियोवेस्कुलर दिक्कतें, एरिथमिया जैसे विकार ठंडे मौसम में बढ़ जाते हैं। इसके अलावा, सर्दियों में शरीर की तंत्रिका तंत्र की सक्रियता बढ़ जाती है, जिससे रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिसे “Vasoconstriction” के रूप में जाना जाता है। इसमें ब्लड प्रेशर का स्तर बढ़ने लगता है और दिल को खून को पम्प करने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जो रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। ये तो हुआ हार्ट अटैक होने का कारण आइए अब जानते हैं दिल का ख्याल कैसे करें ।

1.अगर आपकी शारीरिक एक्टिवी काफी ज़्यादा है, तो बीच-बीच में ब्रेक ज़रूर लें।

2.ठंड के महीने में शरीर को गर्म रखने की काफी जरूरत है, जो दिल को बचाए रखने की बेस्ट तरकीब है।

3.खूब पानी पिएं, जिससे शरीर हाइड्रेट रहे। डिहाइड्रेशन दिल की धड़कनों को बढ़ाने का काम करता है।

4.दिल के दौरे के संकेतों पर नज़र रखें और समय से दिल की सेहत की जांच कराते रहें।

5.अगर किसी भी तरह की असहजता महसूस हो तो डाँक्टर की राय लें।