दिल से दिल का रहा वास्ता इसलिए
कर दिया शुक्रिया आपका इसलिए
कोई पत्थर पिघल जाए सुनकर इसे
अश्क ने आज सब-कुछ कहा इसलिए
शर्म आये तो पढ़ ले मेरी आँख भी
हाथ पर नाम तेरा लिखा इसलिए
ख़्वाब में बात मीठी बहुत उसने की
माँगकर ले गया वो पता इसलिए
मैंने चाहा तुम्हें बस गुनह ये किया
दीजिए, दीजिए अब सज़ा इसलिए
कुछ नया वो छुपाये हुए आज है
लोग रेणु को देते सदा इसलिए
-रेणु त्रिवेदी मिश्रा