बंगाल में नौकरी खरीद घोटाले के हमाम में सभी नंगे

मंत्री का भाई, भाजपा नेता की बेटी और तृणमूल पार्षद भी

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने ग्रुप सी के 842 कार्यरत लोगों को नौकरी से निकालने का आदेश दिया है। इसके बाद पता चला है कि इन लोगों में मंत्री श्रीकांत महतो के भाई खोकन महतो, भाजपा के नेता दुलाल चंद्र बर की बेटी बैशाखी बर सहित कई टीएमसी के नेताओं के रिश्तेदारों के नाम भी सामने आ रहे हैं।

नौकरी की अवैध खरीद में भाजपा नेता दुलाल चंद्र बर की बेटी वैशाखी का भी नाम है। 2016 के विधानसभा चुनाव में दुलाल ने बागदह से चुनाव लड़ा था। वह पराजित हो गये थे, लेकिन बाद में वे भाजपा में शामिल हो गये।

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अब उन्हीं की बेटी की नौकरी रद्द होने के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं। इस संबंध में दुलाल चंद्र ने कहा कि हमारी बेटी की नौकरी वैध है और नौकरी पाने के लिए कोई रुपये नहीं दिए गए हैं।

हालांकि बागदह ग्राम पंचायत के उप प्रधान तथा तृणमूल नेता गोपाल चक्रवर्ती ने कहा है कि चंदन मंडल जो नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में हाल ही में गिरफ्तार हुआ है, उसके साथ दुलाल चंद्र का पुराना संपर्क रहा है।

इसी तरह से नौकरी करने वालों की सूची में डायमंड हार्बर के रहने वाले अमित साहा का नाम है जो तृणमूल के पार्षद हैं और टाउन अध्यक्ष भी रह चुके हैं। तृणमूल छात्र परिषद में जिला अध्यक्ष की जिम्मेवारी भी वह निभा चुके हैं।

हाटूगंज गर्ल्स हाई स्कूल में वह शिक्षक की नौकरी कर रहे थे। कूचबिहार माथाभांगा दो नंबर ब्लॉक के युवा तृणमूल उपाध्यक्ष मदन बर्मन का भी नाम नौकरी करने वालों की सूची में है। हालांकि उन्होंने कहा कि नियुक्ति भ्रष्टाचार से उनका कोई लेना-देना नहीं है। रुपये देकर नौकरी हासिल नहीं की है, बल्कि परीक्षा देकर नौकरी पायी है। उसने कहा है कि कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका लगाया जाएगा।

इसी तरह मंत्री श्रीकांत महतो के इकलौते भाई खोकन महतो की ओएमआर शीट धोखाधड़ी के आरोप में नौकरी रद्द करने का आदेश दिया है। खोकन महतो झाड़ग्राम के एक स्कूल में ग्रुप सी के पद पर कार्यरत थे। संदिग्ध लोगों की लिस्ट में खोकन महतो का नाम 284वें नंबर पर है। इस आदेश के बाद मंत्री के भाई लापता हैं। उनके गांव के घर में सुबह से ताला लगा हुआ है। पड़ोसियों ने दावा किया कि खोकन गांव के घर में सप्ताहांत में आते थे। वह शुक्रवार की रात गांव में एक शादी समारोह में शामिल होने आये थे, लेकिन शनिवार सुबह से इलाके में नहीं दिखे। उधर, मंत्री श्रीकांत महतो की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। मंत्री का भाई अब कहां है नौकरी कैसे मिली? यह सवाल ग्रामीणों के मन में कौंध रहा है।