उगते सूर्य को दिया गया अर्घ्य, पूरे धूम-धाम से संपन्न हुआ महापर्व छठ
छठ पर्व में महिलाएं 36 घंटे का व्रत रखती है
कोलकाताः भगवान सूर्य को समर्पित छठ पूजा का पर्व पूरे धूम-धाम के साथ मनाया गया। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया।
आस्था के महापर्व छठ में भगवान सूर्य की उपासना की जाती है और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा में सूर्य भगवान और माता छठी की पूजा होती है।
छठ पर्व में महिलाएं 36 घंटे का व्रत रखती है। इस पर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। छठ का पर्व साल में दो बार आता है। छठ की शुरुआत 28 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ हुई थी।
छठ का ये पर्व संतान के सुख, समृद्धि, अच्छे सौभाग्य और सुखी जीवन के लिए रखा जाता है।साथ ही यह व्रत पति की लंबी उम्र की कामना के लिए भी रखा जाता है।
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ऐसी मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा करने से तेज आयोग्यता और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। दरअसल ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रह को पिता पूर्वज सम्मान का कारक माना जाता है।
साथ ही छठी माता की आराधना से संतान और सुखी जीवन की प्राप्ति होती है। इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह पर्व पवित्रता का प्रतीक है।
उगते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व
छठ पूजा का अंतिम और आखिरी दिन ऊषा अर्घ्य होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। जिसके बाद छठ के व्रत का पारण किया जाता है।
इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उदितनारायण सूर्य को अर्घ्य देती हैं और सूर्य भगवान और छठी मैया से संतान की रक्षा और परिवार की सुख-शांति की कामना करती हैं।