कोलकाताः पश्चिम बंगाल इन दिनों डेंगू की समस्या जूझ रहा है। वहां पर बुधवार को 600 से भी ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। बंगाल सरकार ने कोलकाता सहित राज्य के बाकी जिलों में डेंगू को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने को कहा है। राज्य में डेंगू के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 42,000 हो गई है। राज्यमें 2017 के बाद इतने मामले दर्ज किये गये हैं।
इस मामले में स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम ने एक बैठक में डेंगू के बढ़ते आंकड़ों वाले जिलों के अधिकारियों से कहा कि वे सफाई अभियान के जरिए मच्छरों के प्रजनन को नियंत्रित करने के प्रयासों को तेज करें। लारविसाइड का छिड़काव करें और मामले का पता लगाने के लिए परीक्षण को प्रोत्साहित करें।
इन जिलों में स्थिति बेहद खराब
बंगाल में कलकत्ता के अलावा उत्तर 24-परगना, मुर्शिदाबाद, जलपाईगुड़ी, हावड़ा और हुगली जैसे जिलों में स्थिति बेहद खराब है। पिछले 5 सालों में पश्चिम बंगाल में डेंगू के मामलों में भारी वृद्धि देखने को मिली। 2011 में 508 लोग डेंगू से पॉजिटिव पाए गये थे, लेकिन अब हर दिन 700 से 800 लोग डेंगू से पॉजिटिव सामने आ रहे हैं।
डेंगू इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि सरकार, निगम और नगरपालिका को जो कदम उठाने चाहिए थे, वो नहीं उठाए जा रहे हैं। मच्छरों का लार्वा बढ़ने के साथ ही मलेरिया भी बढ़ रहा है।
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अगर मच्छरों की आबादी कम करनी है तो और अधिक काम करने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक एक विश्लेषण के अनुसार बंगाल में इस साल बुधवार तक 42,666 डेंगू के मामले सामने आए थे। अगर पिछले दो दिनों के आंकड़ों को जोड़ा जाए तो यह आंकड़ा लगभग 44,000 होने की संभावना है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
राज्य में डेंगू के बारे में जानकारी रखने वाले फुआद हलीम ने आगे बताया कि नागरिक और स्वच्छता कार्य हर साल किया जाना चाहिए। अगर कोई यह सोचता है कि डेंगू और मलेरिया के समय वह जाकर सफाई का काम करेगा तो डेंगू कम हो जाएगा, तो ऐसा नहीं है। आज हम सरकार के स्वास्थ्य और स्वच्छता उपायों की विफलता के कारण ऐसी स्थिति में हैं.
डेंगू से कैसे निपटा यूरोप?
ग्रीस, फ्रांस, इटली, पुर्तगाल, दक्षिण स्पेन, जैसे भूमध्यसागरीय देशों ने कई लाभदायक उपायों से डेंगू को कम किया है जैसे कि स्थिर या संचित पानी को कम करना, जल निकासी व्यवस्था को कवर करना. देश के लोगों का घर में कहीं भी पानी जमा नहीं होने देना चाहिए.
2017 में कितने थे डेंगू के मामले?
2017 में डेंगू के 19,518 मामले थे।
2018 में यह संख्या 16,856 थी।
2019 में डेंगू की 39,357 थी।
2020 में 2,558 थे डेंगू के कुल मामले
2021 में 2,875 थे कुल मामले
क्या कह रहे हैं मेयर-इन-काउंसिल के सदस्य?
कोलकाता नगर निगम के मेयर-इन-काउंसिल के सदस्य देबाशीष कुमार का कहना है कि डेंगू इस बार एक बड़ी चिंता का कारक है क्योंकि 4500 से अधिक मामले सामने आये हैं जो पिछले साल की तुलना में काफी अधिक है। उन्होंने कहा कि नगर निगम डेंगू से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है।
‘हो रहा है राजनीतिक विरोध’
देबाशीष कुमार ने कहा कि नगर निगम का जो विरोध हो रहा है वह राजनीतिक विरोध है। हम घर -घर जाकर स्प्रे कर रहे हैं। सबूत के तौर पर हमारे पास लोगों के सिग्नेचर रिकॉर्ड हैं।
उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक होना होगा और अगर किसी को बुखार है तो वह तुरंत कोलकाता निगम के स्वास्थ्य विभाग (Kolkata Corporation Health Department) से जाकर ब्लड टेस्ट कराएं। साथ ही जमा हुआ पानी कहीं भी मौजूद हो तो उसे हटा देना चाहिए।
रविवार को वेक्टर जनित बीमारी के 642 ताजा मामले सामने आए। इसके साथ ही राज्य में डेंगू के कुल मामलों की संख्या 50,000 से अधिक हो गई।
लोगों ने कोलकाता नगर निगम पर लापरवाही का इंतजाम लगाया है। लोगों का कहना है कि कॉरपोरेशन का ही फॉल्ट लगता है।