कोलकाता : अपने विवादों को लेकर हर समय सुर्खियों में रहने वाले तृणमूल कांग्रेस विधायक मदन मित्रा ने एक बार फिर एसएसकेएम अस्पताल में मरीज को भर्ती नहीं करने के विवाद के बाद अपना बगावती तेवर दिखाया है।
इसके बाद वे फिर सुर्खियों में आ गए हैं। इस मामले में चुनौती देते हुए पूर्व मंत्री और कमरहटी के विधायक ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर विधायक पद छोड़ने की धमकी दी है। इस मामले में मदन मित्रा ने तृणमूल नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रवैये को लेकर भी नाराजगी जताई है।
उन्होंने कहा कि एक विधायक का पद होता है। मैं सोनाली गुहा, शुभेंदु अधिकारी, दिनेश त्रिवेदी या मुकुल रॉय नहीं हूं। मैं मदन मित्रा हूं, उन्होंने मुझे क्या दिया? मदन मित्रा ने कहा कि अगर पार्टी छोड़ना पड़ेगा, तो वह भी छोड़ देंगे और ट्यूशन पढ़ाकर खाएंगे।उन्होंने कहा कि अगर जाने के लिए कहा गया, तो चला चाऊंगा। अगर ऐसा है तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।
उन्होंने कहा कि उनके परिवार में किसी के खिलाफ बदला नहीं लिया जाना चाहिए। मदन ने एक और निवेदन किया कि इस्तीफे देने के एक महीने के भीतर मतदान कराया जाए। मदन की इस धमकी के बाद तृणमूल नेता कुणाल घोष ने कहा कि शायद मदन जी शुक्रवार की रात की घटना से नाराज़ हैं। अगर उनका दिमाग ठंडा हो जाएगा तो वह जरूर बात करेंगे। उन्होंने पीजी अस्पताल को खूबसूरती से सजाया था और सीपीएम के दौर में पीजी अस्पताल में बनाए गए दलालराज को भी खत्म कर दिया था।
गौरतलब है कि शुक्रवार की रात को एक दुर्घटना पीड़ित को एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती नहीं कराया गया था। मदन मित्रा का दावा है कि शुभदीप पाल नाम का युवक खुद स्वास्थ्यकर्मी है। वह एसएसकेएम में भर्ती कराने गये थे, लेकिन उसे अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया। उन्होंने अस्पताल के खिलाफ दलालराज का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की भी मांग की है।