तब गुरु तेग बहादुर थे, अब तेरी-मेरी बारी है
साहित्य किसी भी समाज का आईना हुआ करता है। ऐसे में साहित्यकार अपने आस-पास के माहौल से अनभिज्ञ रहे या इतिहास की अनदेखी करे- यह कतई संभव नहीं है। कोलकाता के…
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